नवाज शरीफ को फंडिंग करता था ओसामा बिन लादेन, पाकिस्तानी डिप्लोमेट के दावे पर बवाल

इस्लामाबाद के अल कायदा सरगना का साथ कथित संबंधों के खुलासे के बाद पाकिस्तान में बवाल मचा हुआ है। दरअसल अमेरिका में पाकिस्तान की राजदूत रहीं ने दावा किया था कि ओसामा बिन लादेन ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का समर्थन और फंडिंग की थी। इस खुलासे के बाद से लंदन में भगोड़े की जिंदगी गुजार रहे नवाज शरीफ इमरान खान की पार्टी के निशाने पर हैं। नवाज को फाइनेंस करता था ओसामा पाकिस्तान के एक निजी चैनल के साथ इंटरव्यू में पाकिस्तान की पूर्व राजदूत आबिदा हुसैन ने कहा कि हां, ओसामा बिन लादेन ने एक समय में मियां नवाज शरीफ का समर्थन किया था। हालांकि, यह एक जटिल कहानी है। ओसामा, नवाज शरीफ को फाइनेंस भी करता था। आबिदा ने कहा कि एक समय में ओसामा बिन लादेन अमेरिका सहित सभी लोगों के बीच लोकप्रिय था। उसे कई देशों में काफी पसंद भी किया गया, लेकिन बाद में उसे एकदम अजनबी बना दिया गया। कौन हैं आबिदा हुसैन आबिदा हुसैन पाकिस्तान की जानी मानी राजनेता और डिप्लोमेट हैं। उन्हें नवाज शरीफ का करीबी भी बताया जाता है। अपने पहले कार्यकाल के दौरान नवाज शरीफ ने आबिदा हुसैन के चुनाव हारने के बाद उन्हें अमेरिका का राजदूत बनाकर पुरस्कृत किया था। बाद के कार्यकाल में शरीफ ने आबिदा हुसैन को अपने कैबिनेट में भी शामिल किया था। पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम की रची रुपरेखा उन्होंने खुलासा किया कि अमेरिका में राजदूत रहने के दौरान उनकी अधिकतर बातचीत उस समय राष्ट्रपति रहे गुलाम इशाक खान के साथ ही होती थी। पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को पूरा होने तक आबिदा को अमेरिकियों को बातचीत में व्यस्त रखने का काम सौंपा था। उन्होंने दावा किया कि अमेरिकी प्रशासन ने परमाणु कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए पाकिस्तान को सलाह दी। इसमें अमेरिका के कई राजनयिक, सीनेटर और कांग्रेसमैन शामिल थे। पाकिस्तानी राष्ट्रपति के साथ था सीधा संपर्क आधुनिक उपकरणों के अभाव में उनके और राष्ट्रपति इशाक खान के बीच संचार के स्रोत के बारे में पूछे जाने पर आबिदा हुसैन ने खुलासा किया कि उन्होंने 18 महीनों के दौरान राष्ट्रपति से ब्रीफिंग प्राप्त करने के लिए पांच बार पाकिस्तान का दौरा किया। वह टैपिंग के डर से फोन का इस्तेमाल करने से बचती थीं। चूंकि परमाणु कार्यक्रम राष्ट्रपति के दायरे में था, इसलिए उनकी अधिकांश बातचीत उनके साथ होती थी, न कि प्रधानमंत्री के साथ।


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